रजत सूद के शायरी, Rajat sood shayari ,poetry gazal in hindi
रजत सूद शायरी हिंदी में
बिगड़ गए थे हम इसक में थोड़े बहुत
दिल टूटा तो हमने भी दिल तोड़े बहुत।
किसने बोला प्यार देगी फरवरी
हमको कर बीमार देगी फ़रवरी
इसको क्लेंडर से हटवा दो कोई
आशिको को मार देगी फ़रवरी।
हर इक दिन के करम से
पेड़ की बुनयाद बनती है,
इरादे नेक हो तो
तो ज़िंदगी फौलाद बनती है।
चाँद में नूर तुम्ही से आया फर्ज करो
तुम हो इस दुनिया के राजा फर्ज करो।
चाँद सवेरा दरिया बारिश
बादल शबनम गुल और तितली
माना इसक है लेकिन ,
इक लड़की को क्या क्या लिखते हो तुम।
जितनी सूंदर हु मैं
उससे काफी ज्यादा लिखते हो तुम
मेरी डायरी पढ़ के बोली
मुझ पर कितना लिखते हो तुम।
किसके हाथ में प्याली है
किसके मुँह में बोटी है
बहुत कुछ जानता हु मैं
मेरी बस उम्र छोटी है।
शराब अपने ही अपने में
कभी होती नहीं बर्वाद
किसी बर्वाद से मिलकर ही वो
बर्वाद बनती है।
कभी दिल ही नहीं करता
ज़रा सा भी नहीं करता
गया है तू तभी से मैं
मोहब्बत ही नहीं करता
मेरे दिल के मकान पर इस
कदर कब्ज़ा किया उसने
किराया भी नहीं देता वो
खाली भी नहीं करता।
तुम्हारे पास हर महफ़िल में
छाने का सलीका था ,
तुम्हारी बात पे हंस के हमने
हँसना सीखा।
बादल को समझाना होगा
खुलकर सामने आना होगा
बारिश का सिर्फ एक मौषम है ,
अपना एक ज़माना होगा।
एक कदम तक न रखूँगा मंदिरों में
मैं अगले जन्म में चप्पल बनूंगा
जहां मैं एक दिन अब्बल बनूंगा।
मगर तुम आज छोडो कल बनुगा।
फलक के सामने
क्या बादलो के गीत गाये हम
तुम्हारी पिक्चरों से इसक करना
सिख पाए हम ,
इसक की महफ़िल वालो
तुम भी कुछ बातो का धयान रखो
गजले कोण सुनाता है यार
इरसाद किसे करते हो यार ,
पलट कर देखते हैं तुमको
आगे बढ़ नहीं पाते ,
किताबे हुस्न पढ़ते हैं
सिलेबस पढ़ नहीं पाते।
फ़िज़ा के करके हम जैसे
तिनके अम्बर में उड़ते हैं
माथा चूम अब फ़िक्रों से
आज़ाद किसे करते हो यार।
एक सवाल हरेक दिन ,हर पल ,
दिल पर दस्तक देता है।
तुम अरिजीत को सुनते हो
तो याद किसे करते हो यार।
कितनी लड़कियों ने ,
ऐसी तुमपे जान फेंकी है
चुरा कर घर से कुछ पैसे
तुम्हारी फिल्म देखि है।
कभी बन जा शहद मेरी जुबां का
मैं तेरे पैर की पायल बनुगा
जहां मैं एक दिन अब्बल बनुगा
मगर तुम आज छोडो कल बनुगा।
सुना है चाँद साजिस कर रहा है
सवेरे को निकल पागल बनूंगा
जहां मैं एक दिन अब्बल बनुगा
मगर तुम आज छोडो कल बनुगा।
दूध फिसल ही जाता है मलाई पर
वो मेरा नाम लिखती है कलाई पर ,
मोहब्बत की हथेली पर
जुनु का जाम रख दूंगा
बेटी हुयी मेरी तुम्हारा नाम रख दूंगा।
प्यार करना फिर से करना
करते रहना सीखना है ,
पिछली बातें छोड़ दो तुम
ये सफर बिलकुल नया है।
ये बारिश है जो सालों साल सिने पर गिरेगी।
खुवाहिसो के मामले में
क्या ही सोचे उम्र क्या है।
किसी का दिल जलाकर
मुस्कुराना कैसे होता है
बुरा कहकर तुम्हे महसूस
अच्छा कैसे होता है।
Rajat Sood Gajal in hindi
बन्दा इसक में फनाह होने ……..
कील ठोकी जा रही दिल के दिवार पर है ,
बन्दा इसक में फनाह होने की कगार पे है।
वो मानता नहीं की दीवाना हो चूका है
जबकि दीवानगी का सबूत हजार पे है
बन्दा इसक में फनाह होने की कगार पे है।
ताजमहल में ऐसा क्या है वो बोले था ,
अब उसका जी लगता उस मजार पे है ,
बन्दा इसक में फनाह होने की कगार पे है।
उसकी आदतों में जो भी बदला दिखे
वे सभी का इल्जाम उसके प्यार पे है।
बन्दा इसक में फनाह होने की कगार पे है।
घर का पता बेशक रट लिया है उसने
हां दवाखाने का ठिकाना बीमार पे है ,
उसका सपना है उसे भीगते हुए देखें
सच होने का सारा जिम्मा बहार पे है ,
बन्दा इसक में फनाह होने की कगार पे है।
खेल का अंजाम सुहाना हो सकता है
इसक की जीत एक ज़िद की हार पे है ,
बन्दा इसक में फनाह होने की कगार पे है।
वो पागल मुझे दिख जाता है अकसर
वो क्या है एक आईना हमार पे है
बन्दा इसक में फनाह होने की कगार पे है।
रजत सूद के गजल
मोहब्बत की तिजौरी हो गयी खाली……..
मोहब्बत की तिजौरी हो गयी खाली न मिलने से ,
कभी चोरी हुयी दिन की कभी सबके न मिलने से ,
किसी दिन लड़कियो की लाज मुझको मार डालेगी ,
न मिलने आ सकी वो आज फिर चुननी न मिलने से।
हमेशा से खबर थी आपको प्रदेश जाना है ,
हवा से दोस्ती तोड़ी गयी खिड़की न मिलने से।
दिलो का डॉक्टर बोला बहुत कमजोर दीखता हु
मरेगी यकींनन मछलियाँ पानी न मिलने से।
गुजारी ज़िंदगी तन्हाई में ज़ीदी दीवाने ने ,
गलत फेहमी हुयी थी माथे पर बिंदी न मिलने से।
कभी वो आँख से चीखा कभी वो होठ से रोया
पलटती रेलगाड़ी देख लो पटरी न मिलने से।
पुरानी दिललगी को क्यों अभी तक याद करते हो ,
हजारो कब्र खुली रहती है मिटटी न मिलने से।
सुनो ये बात कर्वी बेटियों को मारने वालों
बहुत लड़के कुंवारे मर गए लड़की न मिलने से
मोहब्बत की तिजौरी हो गयी खाली न मिलने से।
रजत सूद के पोएट्री
मुझे बस लड़कियों की ये अदा……..
वो सर पर हाथ फेरे चुम मेरे गाल लेती है ,
मुझे बस लड़कियों की ये अदा संभाल लेती है।
रहे खामोश वो लेकिन उसे अनजान मत समझो
दिखाती नहीं मगर पहचान सारी चाल लेती है।
कभी होटल के कमरे में अकेला रो नहीं पाया
तभी माँ फोन करके पूछ मेरा हाल लेती है
मुझे बस लड़कियों की ये अदा संभाल लेती है।
नहीं है डर किसी माँ के बदन को सर्द मौषम का ,
महज बच्चे के सुलाने को दुकां से साल लेती है।
मुझे बस लड़कियों की ये अदा संभाल लेती है
खुदा ने इस हुनर से सिर्फ औरत को नवाज़ा है ,
ज़रूरत पर वो ज़ेवर बेच घर संभाल लेती है।
मोहब्बत दफ़्न है उस मर्द की मगर सांन से बोला
मेरी बिटिया ख़ुशी से बाप को भी पाल लेती है ,
वो सर पर हाथ फेरे चुम मेरे गाल लेती है ,
मुझे बस लड़कियों की ये अदा संभाल लेती है।
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