Skip to content

Poems on Mother in Hindi, Maa Par Kavita

    Poems on Mother in Hindi, Maa Par Kavita

    माँ  यानी ममता , करुणा, वात्सल्य की मूरत,

    धैर्य,  आस्था,  विश्वास  की  सूरत,

    उस माँ को हमारा कोटि -कोटि नमस्कार,

    जिस से मिला है हमें ये जीवन और अच्छे संस्कार।

    हे माँ ! तुझे हमारा शत-शत प्रणाम है ,

    मुश्किलों में याद आता बस तेरा ही नाम है ।

    जननी तू है बस एक  , पर तेरे रूप हैं अनेक  ।

    काम करती जिनसे नेक, सोच-समझकर   देख  ।

    माँ की ममता तो पहले से , जानता है ,   ज़माना    ।

    पर उसके   बलिदान का , इतिहास भी है  पुराना  ।

    यदि यशोदा रूप में कृष्ण पर अपना वात्सल्य लुटाया है

    तो पन्ना धाय बनकर   पुत्र का शीष कटाया है

    जिस शिवाजी की ताकत से,मुग़ल सेना भी घबराई

    उस माँ को कैसे भूलें ,जिसका नाम था जीजाबाई।

    वीर  शिवाजी ने माँ का ऐसाआशीष पाया

    कि काल बनकर दुश्मन को खूब छकाया

    मदरटेरेसा बनकरजिसनेसेवा-भाव फैलाया

    अपने तेज  के कारण ही जग में नाम कमाया

    माँ की हर साँस में बस एक ही आस है

    बढ़ें हम ही सदा , चमकें आसमान में ।

    स्वयं पीड़ा को सहकर भी हमें सुखों से पाला है ,

    हमारी खुशियों की तो बस वह एक माला है

    माँ ने ही तो हमें सच्चा पाठ पढ़ाया है ,

    गिरकर सँभलना उसने ही सिखाया है ।

    हमारी ही खुशी में जो ढूँढती है खुशियाँ,

    उसके कदमों में बसाएँगे एक ऐसी दुनिया…………

    सत्य हो , अपनत्व हो , कर्म हो जहाँ

    लक्ष्य हो, संकल्प हो , धर्म हो जहाँ

    ऐसी माँ को भूलें कैसे ,

    जिसके अनोखे व्यक्तित्व से

    है हमारा अस्तित्व।

    जो करता रहेगा उसके गुणों का बखान

    कहता रहेगा कि है वह कितनी महान ।

    माँ ! तुझे  सलाम ,

    व्यर्थ न जाने देंगे हम तेरा नाम ।

    करेंगे कुछ ऐसा ,  काम   ।

    बढ़े जिससे तेरा गौरव फैले सुगन्धि व सौरभ  ।

    आज पकड़ा है जो तूने हाथ मेरा ,

    वादा है न छोड़ेंगे हम कल साथ तेरा  ।

    स्वयं गीले पर सोकर भी,

    सुलाया है सूखे परे तूने मुझे,

    वादा है न छोड़ेंगे कभी ,

    असहाय ,अकेला तुझे ।

    क्योंकि ……….

    तू हर संकट पर भारी है  ,

    तेरे साथ से हमने  ,

    जीत ली दुनिया सारी है  ।

    ये शब्द है जो माँ ………

    अब छूटेगा तब ही..

    जब जाएगी हमारी जाँ..

    ओ माँ प्यारी माँ …।

    कविता 2 – माँ पर हिंदी कविता

    जब आंख खुली तो अम्‍मा की

    गोदी का एक सहारा था

    उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको

    भूमण्‍डल से प्‍यारा था

    उसके चेहरे की झलक देख

    चेहरा फूलों सा खिलता था

    उसके स्‍तन की एक बूंद से

    मुझको जीवन मिलता था

    हाथों से बालों को नोंचा

    पैरों से खूब प्रहार किया

    फिर भी उस मां ने पुचकारा

    हमको जी भर के प्‍यार किया

    मैं उसका राजा बेटा था

    वो आंख का तारा कहती थी

    मैं बनूं बुढापे में उसका

    बस एक सहारा कहती थी

    उंगली को पकड. चलाया था

    पढने विद्यालय भेजा था

    मेरी नादानी को भी निज

    अन्‍तर में सदा सहेजा था

    मेरे सारे प्रश्‍नों का वो

    फौरन जवाब बन जाती थी

    मेरी राहों के कांटे चुन

    वो खुद गुलाब बन जाती थी

    मैं बडा हुआ तो कॉलेज से

    एक बीमारी प्यार ले आई

    जिस दिल में मां की मूरत थी

    वो रामकली को दे आया

    शादी की पति से बाप बना

    अपने रिश्‍तों में झूल गया

    अब करवाचौथ मनाता हूं

    मां की ममता को भूल गया

    हम भूल गये उसकी ममता

    मेरे जीवन की थाती थी

    हम भूल गये अपना जीवन

    वो अमृत वाली छाती थी

    हम भूल गये वो खुद भूखी

    रह करके हमें खिलाती थी

    हमको सूखा बिस्‍तर देकर

    खुद गीले में सो जाती थी

    हम भूल गये उसने ही

    होठों को भाषा सिखलायी थी

    मेरी नीदों के लिए रात भर

    उसने लोरी गायी थी

    हम भूल गये हर गलती पर

    उसने डांटा समझाया था

    बच जाउं बुरी नजर से

    काला टीका सदा लगाया था

    हम बडे हुए तो ममता वाले

    सारे बन्‍धन तोड. आए

    बंगले में कुत्‍ते पाल लिए

    मां को वृद्धाश्रम छोड आए

    उसके सपनों का महल गिरा कर

    कंकर-कंकर बीन लिए

    खुदग़र्जी में उसके सुहाग के

    आभूषण तक छीन लिए

    हम मां को घर के बंटवारे की

    अभिलाषा तक ले आए

    उसको पावन मंदिर से

    गाली की भाषा तक ले आए

    मां की ममता को देख मौत भी

    आगे से हट जाती है

    गर मां अपमानित होती

    धरती की छाती फट जाती है

    घर को पूरा जीवन देकर

    बेचारी मां क्‍या पाती है

    रूखा सूखा खा लेती है

    पानी पीकर सो जाती है

    जो मां जैसी देवी घर के

    मंदिर में नहीं रख सकते हैं

    वो लाखों पुण्‍य भले कर लें

    इंसान नहीं बन सकते हैं

    माँ जो जल पिलावे

    वो पौधा संदल बन जाता है

    मां के चरणों को छूकर पानी

    गंगाजल बन जाता है

    मां के आंचल ने युगों-युगों से

    भगवानों को पाला है

    मां के चरणों में जन्‍नत है

    गिरिजाघर और शिवाला है

    हर घर में मां की पूजा हो

    ऐसा संकल्‍प उठाता हूं

    मैं दुनियां की हर मां के

    चरणों में ये शीश झुकाता हूं…

    Poem 3 – Maa Tumhari Yaado Mein

    माँ तुम्हारी याद में हम कुछ भी न कर पाये !

    नहा धोकर निकले घर से मंदिर हो आता हूँ,

    माँ को श्रद्धा-सुमन चढ़ा, ईश्वर के चरण छू आता हूँ !

    लिए कुछ फल-फूल-मिठाई, कदम बढ़ा दिया,

    तभी बिलखता बालक भूख से माँ-माँ करता दिख गया !

    माँ ने दीन काया से पल्लू को जरा-सा हटाया,

    सूखे वक्ष ने बालक के लिए दिव्य रस बरसाया !

    हम सारे फल-फूल-मिठाई उसको दे आये,

    माँ तुम्हारी याद में हम कुछ भी न कर पाये !

    सोचा कोई बात नहीं, अब वापस चलता हूँ,

    धूप तेज है, छतरी में छूप-छाप बढ़ता हूँ !

    बुढ़िया हिलती डुलती आँचल में लिपटी जा रही थी,

    छतरी में अपने पोते को ढाँक कर ले जा रही थी !

    बचपन कौंधा, दादी-माँ को माँ की दी छतरी दे आये,

    माँ तुम्हारी याद को क्या हम यूँ मिटा पाये !

    माँ तुम्हारी याद में हम कुछ भी न कर पाये !

     

    कविता 4 – माँ पर हिन्दी कविता

    अंधियारी रातों में मुझको

    थपकी देकर कभी सुलाती

    कभी प्यार से मुझे चूमती

    कभी डाँटकर पास बुलाती

    कभी आँख के आँसू मेरे

    आँचल से पोंछा करती वो

    सपनों के झूलों में अक्सर

    धीरे-धीरे मुझे झुलाती

    सब दुनिया से रूठ रपटकर

    जब मैं बेमन से सो जाता

    हौले से वो चादर खींचे

    अपने सीने मुझे लगाती

     

    Poem 5 – Maa Ki Yaad Me Kavita – बहुत याद आती है माँ

    बहुत याद आती है माँ

    जब भी होती थी मैं परेशान

    रात रात भर जग कर

    तुम्हारा ये कहना कि

    कुछ नहीं… सब ठीक हो जाएगा ।

    याद आता है…. मेरे सफल होने पर

    तेरा दौड़ कर खुशी से गले लगाना ।

    याद आता है, माँ तेरा शिक्षक बनकर

    नई-नई बातें सिखाना

    अपना अनोखा ज्ञान देना ।

    याद आता है माँ

    कभी दोस्त बन कर

    हँसी मजाक कर

    मेरी खामोशी को समझ लेना ।

    याद आता है माँ

    कभी गुस्से से डाँट कर

    चुपके से पुकारना

    फिर सिर पर अपना

    स्नेह भरा हाथ फेरना ।

    याद आता है माँ

    बहुत अकेली हूँ

    दुनिया की भीड़ में

    फिर से अपना

    ममता का साया दे दो माँ

    तुम्हारा स्नेह भरा प्रेम

    बहुत याद आता है माँ

     

    कविता 6 – माँ पर लघु कविता हिंदी में

    कभी जो गुस्से में आकर मुझे डांट देती

    जो रोने लगूं में मुझे वो चुपाती

    जो में रूठ जाऊं मुझे वो मनाती,

    मेरे कपड़े वो धोती मेरा खाना बनाती

    जो न खाऊं में मुझे अपने हाथों से खिलाती

    जो सोने चलूँ में मुझे लोरी सुनाती,

    वो सबको रुलाती वो सबको हंसाती

    वो दुआओं से अपनी बिगड़ी किस्मत बनाती

    वो बदले में किसी से कभी कुछ न चाहती,

    जब बुज़ुर्गी में उसके दिन ढलने लगते

    हम खुदगर्ज़ चेहरा अपना बदलने लगते

    ऐश-ओ-इशरत में अपनी उसको भूलने लगते

    दिल से उसके फिर भी सदा दुआएं निकलती

    खुशनसीब हैं वो लोग जिनके पास माँ है।

     

    कविता 7 – माँ के लिए हिंदी कविता

    अथाह श्रृंखला है तू जज्बातों की

    पालनहारी है तू गहन रातों की

    कुछ न चाहती कभी औलाद से

    सिर्फ भूखी है तू मीठी बातों की

    चलन सदा फरिश्ते जैसी होगी

    तुझ जैसा कोई कर नही सकता प्यार

    अपसराएँ भी चाहे खुद उतर आयें जमीन पर

    पर माँ की मुस्कान के आगे फीका है हर श्रृंगार

    तू गर्म धूप में ठंडी हवा का झोंका

    तू हर बार माफ कर देती है मौका

    होता है हर कोई बेदर्द जमाने में मतलबी

    माँ कभी नही करती औलाद संग धोखा

    तुझसे बड़ा नही कुल मिलाकर भी सारा जहान

    तू है बड़े से बड़े देवता से भी ज्यादा महान

    छू लिया जिसने दिल से तेरे चरणों को

    छू लिया समझो उसने हर एक आसमान

    तू है जीवन को रोशन करने वाली अदभुत बाती

    नूर से भरी होती है माँ तेरी करिश्माई छाती

    सकुन मिल जाता है बैचेन रूह को तेरे आंचल तले आ कर

    बैचेन जिस्म, रोती रूह को वहां पल में नींद आ जाती

    पारस हो गया वही जिसको तूने छुआ

    तेरे होते कुछ ना बिगड़ पाती कोई भी बददुआ

    मना कर ना पाते फरिश्ते भी तेरी अरदास को

    अपने बालक के लिये कामयाबी छिन लाती है तेरी दुआ

    Poems on Mother in Hindi, Maa Par Kavita,poem on nature in hindi,hindi poem on nature,poem on nature,hindi kavita,nature poem in hindi,poem on environment in hindi,hindi poem,hindi poetry on nature,hindi kavita on nature,hindi poem on environment,nature poem,nature,prakriti par kavita in hindi,prakriti par kavita hindi mein,hindi kavita on prakriti,hindi poem about nature,prakriti kavita | poem on nature in hindi,hindi poetry on environment,environment poem in hindi,poem on environment

    close