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भूख पर कविता,Poem on Hunger in Hindi

    भूख पर कविता,Poem on hunger in Hindi

    <<भूख सताती क्यों है>>

    मम्मी भूख सताती क्यों है?

    बार बार फिर आती क्यों है?

    पूड़ी सब्जी रोटी खाओ

    चावल दाल हजम कर जाओ

    कितना दूध दही पी जाओ

    रबड़ी खीर मलाई खाइए

    चाट मिठाई चट कर जाओ

    लोटा भर पानी पी जाओ

    लेकिन पेट न भर पाता है

    फिर फिर खाली हो जाता है

    इतना खाने पीने पर भी

    एकदम नहीं बुझाती क्यों है?

    मम्मी भूख सताती क्यों है?

    कैसा है यह पेट अनोखा

    बार बार देता है धोखा

    भर जाने पर इतराता है

    भोजन से मुंह बिचकाता है

    फिर चाहे कुछ भी ले आओ

    मन कहता सब दूर हटाओं

    खेलो कूदों या सो जाओ

    लेकिन फिर खाली होने पर

    सूखी रोटी भाती क्यों है

    मम्मी भूख सताती क्यों है

    भरा हुआ जब होता पेट

    मन करता है जाऊं लेट

    करूँ न कुछ भी बस सो जाऊं

    मीठे सपनों में खो जाऊं

    भूख शांत जब हो जाती है

    गहरी नींद तभी आती है

    सोकर सारी रात बिताओ

    सुबह उठो फिर खाओ खाओ

    लगती है जब भूख जोर की

    सारी नींद उड़ाती क्यों है

    मम्मी भूख सताती क्यों है

    मम्मी बोली सुनो ध्यान से

    क्यों हो इतने परेशान से

    बिना भूख तुम क्या खाओगे

    सारे स्वाद कहाँ पाओगे

    मजा चाट का लोगे कैसे

    दावत खूब छ्कोगे कैसे

    कैसे फिर बलवान बनोगे

    अच्छे अच्छे काम करोगे

    अब तो समझ गये होंगे न

    बार बार फिर आती क्यों है

    सबको भूख सताती क्यों हैं

     

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