महात्मा गांधी की पालतू बकरी का क्या नाम था?
भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करने वालों की सूची में महात्मा गांधी का नाम प्रमुख स्थान पर है। गांधी जी ने आजादी की लड़ाई के लिए कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया, लेकिन बिना हिंसा के ही आंदोलन किए थे।
महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े अन्य तरह के किस्से और कहानियां प्रचलित हैं। आज की युवा पीढ़ी महात्मा गांधी के बारे में प्रत्येक छोटी बड़ी बातें और किस्से व कहानियां जानना चाहते हैं, जिनमें एक किस्सा महात्मा गांधी का उनके पालतू बकरी से भी जुड़ा हुआ है।
Gandhiji Ki Bakri Ka Naam Kya Tha
महात्मा गांधी की पालतू बकरी का नाम “निर्मला” था। महात्मा गांधी अपने प्रिय पालतू बकरी को निर्मला नाम से पुकारते थे। लगभग प्रत्येक जगह वे अपने इस पालतू बकरी को साथ लेकर जाते थे। महात्मा गांधी इसी बकरी का दूध पिया करते थे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहले महात्मा गांधी मांसाहारी थे, मांस का सेवन करते थे। लेकिन बाद में वे अहिंसक बन गए और जानवरों का मांस खाना बंद कर दिया। तभी उन्होंने दूध पीना भी बंद कर दिया था, लेकिन जब वे बीमार पड़े तो डॉक्टरों की सलाह के बाद बकरी का दूध पीना शुरू किया था।
महात्मा गांधी किस बकरी का दूध पीते थे?
महात्मा गांधी अपने पालतू बकरी का दूध पीते थे, लेकिन उससे पहले उन्होंने दूध पीना छोड़ दिया था। क्योंकि उससे पहले वे मांस खाते थे और दूध भी पीते थे। परंतु बदलते समय के साथ उन्होंने खुद को बदलाव और अहिंसक बन गए। जिसके बाद उन्होंने जानवरों पर हिंसा करना छोड़ दिया और यहां तक कि दूध पीना भी छोड़ दिया था।
उनका कहना था कि दूध भी जानवरों का मांस खाने के बराबर है। लेकिन जब वे बीमार पड़े तब डॉक्टरों ने उन्हें दूध पीने की सलाह दी, जिसके बाद उन्होंने अपने पालतू बकरी निर्मला का दूध पीना शुरु कर दिया था।
महात्मा गांधी की पालतू बकरी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें
- महात्मा गांधी अपनी पालतू बकरी को हमेशा अपने साथ रखते थे ताकि उन्हें हर जगह पर ताजा दूध मिल सके।
- 1931 में लंदन में हुए गोलमेज सम्मेलन गांधीजी निर्मला को साथ लेकर गये थे।
- यह भी माना जाता है कि महात्मा गाँधी की बकरी को बादाम और काजू खाने को दिए जाते थे लेकिन इसमें कितनी सत्यता है इसकी जानकारी नहीं है।
- गाँधी जी के पास दो बकरियां थी, जिसमें एक का रंग काला था और एक का रंग सफ़ेद था।
- गाँधी जी ने निर्मला को अपने साथ लगभग 7 वर्षों तक रखा।
- सरोजिनी नायडू ने गांधीजी की बकरियों को लेकर कहा था कि यह देश के लिए महंगा पड़ रहा है।
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निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया है कि महात्मा गांधी की पालतू बकरी का नाम क्या था?, महात्मा गांधी किस बकरी का दूध पीते थे?, महात्मा गांधी ने दूध पीना क्यों छोड़ दिया था और फिर से दूध पीना क्या शुरू किया? इस बारे में भी पूरी जानकारी आपको इस आर्टिकल में बताई है।
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