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सेवा से ही कल्याण, Seva se hee kalyan, Motivational Story In Hindi

    सेवा से ही कल्याण, Seva se hee kalyan,Motivational Story In Hindi

     

    स्वामी रामकृष्ण परमहंस दक्षिणेश्वर मंदिर में बैठे भक्तजनों को उपदेश दे रहे थे। एक दुकानदार पत्नी सहित उनके सत्संग के लिए पहुँचा। सत्संग के बाद उसने परमहंसजी से प्रश्न किया, ‘क्या सांसारिक बंधनों में रहते हुए भगवत् कृपा प्राप्त कर जीवन सार्थक किया जा सकता है?’

     

    स्वामीजी ने बताया, ‘संसार में भगवान् को भजने वा साधु-संन्यासी कम, गृहस्थजन अधिक होते हैं। वे सत्कर्मों और भक्ति के माध्यम से अपना जीवन सफल बनाते हैं।

    अपने परिवार के प्रति सभी कर्तव्य करो, किंतु मन भगवान् में लगाए रखो। जो व्यक्ति अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों से प्रेम नहीं करेगा, वह भला भगवान् से कैसे प्रेम करेगा?’

     

    परमहंसजी ने आगे कहा, ‘गृहस्थ के कर्तव्य हैं कि वह प्राणियों के प्रति दया करे, असहायों-निर्धनों और मूक पशु-पक्षियों की सेवा करे तथा भगवान् के प्रति गहरी आस्था और प्रेम रखे।

     

    सदाचार, ईमानदारी और कर्तव्यपालन ऐसे साधन हैं, जो गृहस्थ का लोक-परलोक, दोनों सुधारने की क्षमता रखते हैं। उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि परिवार और सांसारिक प्रपंच में वह भगवान् को न भुला दे। जीवन का असली उद्देश्य तो भगवान् की भक्ति ही है। ‘

     

    अंत में उन्होंने कहा, ‘भगवान् को पाने के लिए सद्पुरुषों का सत्संग, सद्विवेक, विनम्रता और करुणा की भावना जरूरी है। ‘ उस व्यक्ति की जिज्ञासा का समाधान हो गया।

     

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